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खोया/ पाया

>> Friday, August 15, 2008

हर पल पल - पल मेरा है
फिर भी -
पल पर अधिकार कहाँ मुझको
कब , किसने ,क्या जाना
मेरे अंतस की गहराई को,
मैं तन्हाँ हूँ
राहें तन्हाँ हैं
मंजिल भी मेरी तन्हां हो चली है
तन्हाई के इस क्षण में
मन पर मेरे पल हावी है
क्यों कर मैंने पाया था
क्यों कर मैंने खोया है.

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