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पूर्वनिश्चित

>> Monday, May 25, 2009


समय

जो स्वयं चलता है

ना कोई ले सकता है

और ना ही

कोई दे सकता है ।


शायद

वक्त हमसे

वही करवाता है

जो होना है

सब

पूर्वनिश्चित सा ।


फिर भी हम

अक्सर सोचते हैं

कि -

काश उस समय

ऐसा किया होता

नही तो

वैसा किया होता

और कर देते हैं

यूँ आने वाले

वक्त की बर्बादी ।


ये बर्बादी करना भी

शायद

पूर्वनिश्चित ही था .

4 comments:

रश्मि प्रभा... 5/29/2009 6:06 PM  

is purvnishchit satya ko sahi shabd diye,khud ko samjhane,sambhalne ki sashakt prakriya........

निर्झर'नीर 6/05/2009 9:52 AM  

Geet
aapki har rachn
apna amit prabhav choR jati hai

कंचनलता चतुर्वेदी 6/14/2009 9:52 AM  

वाह!कितनी अच्छी अभिव्यक्ति दी है आप ने....
.......कंचनलता चतुर्वेदी

Ashk 6/19/2009 1:27 AM  

"फिर भी हम
अक्सर सोचते हैं
कि -
काश उस समय
ऐसा किया होता "-man kee sthiti ka yatharth chitran hua hai.

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