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टुकड़े टुकड़े ख्वाब

>> Wednesday, January 20, 2010




रख दिया है मैंने




सारे अपने ख़्वाबों को


आईने के सामने ,



और ख्वाब खुद को देख



खुश थे बहुत



सज रहे थे ,संवर रहे थे



कर रहे थे गुरुर



स्वयं के सौन्दर्य पर



कि -



छनाक से



टूट गया आईना



बिखर गयीं चारों ओर



किरचें ही किरचें



और



चुभ गयीं हैं भीतर तक



हर एक ख्वाब में







अब ख्वाब हैं कि



लहू लुहान पड़े हैं



और देख रहे हैं



खुद को टुकड़े टुकड़े हुआ .







17 comments:

dipayan 1/20/2010 8:51 PM  

बहुत सुन्दर और अध्भुत तरीके से ख्वाबो के टूटने का वर्णन. अच्छा लगा.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) 1/20/2010 9:31 PM  

ख़्वाब का टूटना बहुत खराब लगता है.... कांच से ख़्वाब के टूटन का वर्णन बहुत अच्छा लगा....

shikha varshney 1/20/2010 9:32 PM  

wah di wah sach bante hain sawarte hain khwaab fir ese hi chhammmm se toot jate hain ...bahut marmsparshi prastuti.

Anonymous,  1/20/2010 9:41 PM  

गहरे भाव, निराली सोच और शानदार चित्रण के लिए आभार और बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई.

अनामिका की सदायें ...... 1/20/2010 10:22 PM  

रचना बहुत अच्छी है. ख्वाबो को पाल-पोस कर और अपने विश्वास का पानी देकर इतना सुद्रद बनाना चाहिए की कांच की किर्चनो से लहुलुहान न हो.

शुभकामनाये

शुभ बसंत पंचमी.

रश्मि प्रभा... 1/20/2010 10:25 PM  

लहुलुहान ख़्वाबों के गले लग मैं भी रो पड़ी हूँ

rashmi ravija 1/21/2010 12:23 AM  

ओह्ह!! बड़ी ही मार्मिकता से बयाँ किया है,सपनो के सच को...उसके टूटी किरचें तो शायद जनम भर चुभती हैं

Apanatva 1/21/2010 8:18 AM  

ab apane khwab aaine ke saamne nahee rakhane kee seekh milee..........
kya karoo mera swabhav hee sadaiv har sthitee se kuch seekhana hee chahta hai..........:)

Udan Tashtari 1/21/2010 9:08 AM  

बहुत भावपूर्ण.

अजय कुमार 1/21/2010 10:32 AM  

ख्वाबों का सजना और टूटना बहुत अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया आपने

vandana gupta 1/21/2010 11:48 AM  

uff ! dard hi dard bhar diya ........khwabon ko lahuluhan dekhna kitna mushkil hot ahai na.

दिगम्बर नासवा 1/21/2010 1:32 PM  

ख्वाबों की किस्मत में तो टूटना ही लिखा होता है ........ बहुत लाजवाब लिखा है ....... आपको बसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...........

शोभना चौरे 1/21/2010 4:42 PM  

kuch khvab hote hi lhoo luhan hone ke liye
achhi prastuti

संजय भास्‍कर 1/23/2010 8:12 PM  

ख्वाबों की किस्मत में तो टूटना ही लिखा होता है ........ बहुत लाजवाब लिखा है

BrijmohanShrivastava 1/24/2010 6:32 PM  

ख्वाव हों या कोई अन्य भावना गरूर का हश्र यही होता है

गीता पंडित 1/31/2010 6:44 PM  

aapko padna achchha laga....


peer ki main hoon sahelee
peer mera naam hai,



s-sneh

Gita

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