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मुहब्बत का दिया जला कर तो देखो .

>> Wednesday, October 26, 2011




आस्था का तेल 
और दिल की बाती 
यही है सच ही में 
मुहब्बत की थाती 
स्नेह पगे  फ़ूल 
खिला कर तो देखो 
मुहब्बत का दिया 
जला कर तो देखो .

बाती से मिले बाती 
तो हो रोशनी प्रज्ज्वलित 
अपेक्षाएं हों  सीमित 
तो प्रेम हो विस्तृत 
समर्पण को ज़रा 
विस्तार दे के देखो 
मुहब्बत का दिया 
जला कर तो देखो .

ऐसे दीयों की जब 
सजी हो दीपमाला 
हर दीप होगा अमर 
नहीं चाहिए होगी हाला 
इसमें  तुम खुद को 
डुबा कर तो देखो 
मुहब्बत का दिया 
जला कर तो देखो ..



62 comments:

Am 10/26/2011 11:47 AM  

Diwali ki hardik subhkamnaye....
is se behtar kya ho skti hai PREM-Dipak JAlaye hum aise
NaFRAT ka ANDHERA reh na DHRA par...:)

अशोक सलूजा 10/26/2011 11:54 AM  

मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो ..
खुशियों के दीप जल उठेंगें !
दीपावली मुबारक और शुभकामनाएँ !

सूर्यकान्त गुप्ता 10/26/2011 11:56 AM  

दीपावली की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें।
वाकई मुहब्बत का दिया जलाकर तो देखो
"अहम" का पत्थर हटा कर तो देखो……बहुत सुंदर शुभकामना संदेश!!!

mridula pradhan 10/26/2011 12:12 PM  

स्नेह पगे फ़ूल
खिला कर तो देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो .
kitni sunder baat hai.....

ऋता शेखर 'मधु' 10/26/2011 12:22 PM  

अपेक्षाएं हों सीमित
तो प्रेम हो विस्तृत
समर्पण को ज़रा
विस्तार दे के देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो .

बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Maheshwari kaneri 10/26/2011 1:12 PM  

स्नेह पगे फ़ूल
खिला कर तो देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो ...बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 10/26/2011 1:25 PM  

बहुत सुन्दर!! आपको दीपावली की शुभकामनाएं!!

आशा बिष्ट 10/26/2011 1:44 PM  

sach me mam bauht sundar rachna hai.....
happy deepawali..to and your family...

प्रतिभा सक्सेना 10/26/2011 2:03 PM  

बहुत शुभ चिन्तन .
दीपावली संगलमय हो !

प्रवीण पाण्डेय 10/26/2011 2:20 PM  

जहाँ रोशन हो जायेगा।

Mukta Dutt 10/26/2011 2:29 PM  

Deepawali ki hardik shubhkamnaye :)

आनंद 10/26/2011 2:57 PM  

आस्था का तेल
और दिल की बाती
यही है सच ही में
मुहब्बत की थाती
स्नेह पगे फ़ूल
खिला कर तो देखो ..
..
दीदी फिर देखना क्या ....फिर तो जो घटित होगा जीवन में वह सत्यम शिवम सुन्दरम ही होगा !
सादर चरण स्पर्श ...और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

vandana gupta 10/26/2011 3:30 PM  

्वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति…………।

सुन्दर प्रस्तुति…………दीप मोहब्बत का जलाओ तो कोई बात बने
नफ़रतों को दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
हर चेहरे पर तबस्सुम खिलाओ तो कोई बात बने
हर पेट मे अनाज पहुँचाओ तो कोई बात बने
भ्रष्टाचार आतंक से आज़ाद कराओ तो कोई बात बने
प्रेम सौहार्द भरा हिन्दुस्तान फिर से बनाओ तो कोई बात बने
इस दीवाली प्रीत के दीप जलाओ तो कोई बात बने

आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' 10/26/2011 4:04 PM  

बहुत सुन्दर...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

Unknown 10/26/2011 4:47 PM  

बेहतरीन काव्य पंक्तिया दीपावली की शुभकामनायें

संतोष पाण्डेय 10/26/2011 4:54 PM  

निश्चित ही मोहब्बत का दिया जलाने की जरूरत है. दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.

अनुपमा पाठक 10/26/2011 5:43 PM  

दीप की तरह आपके शब्द भी जगमगा रहे हैं!
शुभ दीपावली!

रश्मि प्रभा... 10/26/2011 6:05 PM  

बाती से मिले बाती
तो हो रोशनी प्रज्ज्वलित
अपेक्षाएं हों सीमित
तो प्रेम हो विस्तृत
समर्पण को ज़रा
विस्तार दे के देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद 10/26/2011 6:41 PM  

दिल और आस्था का ही तो खेल है प्रेम। सुंदर रचना॥ दीपावली की शुभकामनाएं॥

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 10/26/2011 8:06 PM  

संगीता जी,..बहुत ही सुंदर रचना रची है आपने ,
मुहब्बत का दिया जलाकर के देखो..अच्छी पन्तियाँ
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.........

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 10/26/2011 9:04 PM  

बहुत सुन्दर!
आपको और आपके पूरे परिवार को
दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

संगीता पुरी 10/26/2011 11:21 PM  

फिर दुनिया ही बदल जाएगी ..
.. आपको भी दीपपर्व की असीम शुभकामनाएं !!

इस्मत ज़ैदी 10/26/2011 11:29 PM  

बहुत ख़ूब !!
दीपावली बहुत बहुत मुबारक हो

मनोज कुमार 10/27/2011 12:22 AM  

जब प्रेम का दीया जलता है, तो सारा जग झिलमिल करता है।
शुभ दीपावली!

डॉ. मोनिका शर्मा 10/27/2011 3:26 AM  

बहुत सुन्दर चिन्तन ....दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

Suman 10/27/2011 8:20 AM  

बहुत सुंदर रचना !

विभूति" 10/27/2011 10:06 AM  

मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो ... bhaut hi sundar.. happy diwali..

दिलबागसिंह विर्क 10/27/2011 11:39 AM  

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-680:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

www.navincchaturvedi.blogspot.com 10/27/2011 11:59 AM  

मुहब्बत का दिया जलाना बहुत जरूरी है

दिवाली, भाई दूज और नव वर्ष की शुभकामनायें

kshama 10/27/2011 1:42 PM  

Zaroorat muhobbat ke diye kee hee to hai! Aprateem rachana!

देवेन्द्र पाण्डेय 10/27/2011 2:18 PM  

बहुत खूब।
दीप पर्व के शेष दिनो की ढेर सारी शुभकामनाएं।

दिगम्बर नासवा 10/27/2011 3:25 PM  

इस दीपावली में मुहब्बत का दिया जले तो उजाला ठहर जायगो हमेशा के लिए ...
आपको दीपावली की मंगल कामनाएं ..

संजय भास्‍कर 10/27/2011 5:44 PM  

सुन्दर प्रस्तुति.....
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Dr.NISHA MAHARANA 10/27/2011 10:37 PM  

अपेक्षाएं हों सीमित
तो प्रेम हो विस्तृत
समर्पण को ज़रा
विस्तार दे के देखो.
bhut khub.

Anita 10/28/2011 1:11 PM  

समपर्ण और मुहब्बत के दीप जलाती सुंदर रचना!

अरुण चन्द्र रॉय 10/28/2011 2:19 PM  

बहुत सुन्दर गीत.... अदभुद रचना... दिवाली की हार्दिक शुभकामना

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार 10/28/2011 4:28 PM  

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*****************************
* आपको सपरिवार दीवाली की रामराम !*
*~* भाईदूज की बधाई और मंगलकामनाएं !*~*

- राजेन्द्र स्वर्णकार
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Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार 10/28/2011 4:29 PM  

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मेरे दोनों ब्लॉग कल दोपहर बाद से गायब हैं
आप में से कोई मेरी मदद कर सकें तो बहुत आभारी रहूंगा



शस्वरं


ओळ्यूं मरुधर देश री


लिंक :-
shabdswarrang.blogspot.com
rajasthaniraj.blogspot.com


- राजेन्द्र स्वर्णकार
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Amrita Tanmay 10/28/2011 5:06 PM  

आस्था है तो उजाला है..बहुत खुबसूरत रचना..

Onkar 10/28/2011 8:11 PM  

सुन्दर कविता

Onkar 10/28/2011 8:11 PM  

सुन्दर कविता

अनामिका की सदायें ...... 10/28/2011 8:53 PM  

बाती से मिले बाती
तो हो रोशनी प्रज्ज्वलित
अपेक्षाएं हों सीमित
तो प्रेम हो विस्तृत
समर्पण को ज़रा
विस्तार दे के देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो .

sunder sandesh deti rachna.

kavita verma 10/28/2011 11:31 PM  

bahut khoob deepawali ki shubhkamnayen.

गिरिजा कुलश्रेष्ठ 10/28/2011 11:55 PM  

संगीता जी आपकी काव्य-धारा जिस निरन्तरता से प्रवाहित हो रही है अभिनन्दनीय है । दीपावली की मंगल-कामनाएं

वाणी गीत 10/29/2011 6:45 AM  

इस दिए की ही बहुत आवश्यकता है ...
बहुत शुभकामनाये!

Yashwant R. B. Mathur 10/29/2011 8:36 AM  

आपकी पोस्ट की हलचल आज (29/10/2011को) यहाँ भी है

सदा 10/29/2011 3:26 PM  

स्नेह पगे फ़ूल
खिला कर तो देखो
मुहब्बत का दिया
जला कर तो देखो .
बहुत बढि़या।

virendra sharma 10/29/2011 6:07 PM  

सुन्दर प्रस्तुति .मनोहर भाव सात्विक आस लिए पोस्ट .

Anonymous,  10/29/2011 9:02 PM  

अपेक्षाएं हों सीमित तो प्रेम हो विस्तृत, समर्पण को ज़रा विस्तार दे के देखो ...

संगीता जी बहुत सुन्दर बात कही आपने, अपेक्षाएं ही तो हैं जो प्रेम के विस्तार को बाँधती हैं. अपेक्षाएं जितनी कम होंगी जीवन उतना ही सुन्दर होगा. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

सादर,
मंजु

महेन्‍द्र वर्मा 10/30/2011 9:30 AM  

बाती से मिले बाती
तो हो रोशनी प्रज्ज्वलित
अपेक्षाएं हों सीमित
तो प्रेम हो विस्तृत
समर्पण को ज़रा
विस्तार दे के देखो

जोत से जोत जलाना होगा।
बहुत सुंदर और प्रेरक रचना।

शुभ दीपावली।

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 10/30/2011 9:52 AM  

नेह के झिलमिलाते दीपों ने घर-आंगन ज्योतिर्मय कर दिया.सुंदर संदेश देती रचना ने अभिभूत कर दिया.नेट की अनुपलब्धता में विलम्ब से सही-हृदय से शुभकामनायें स्वीकार करें शुभ-दीपावली.

Rakesh Kumar 10/30/2011 1:35 PM  

ओह! बहुत ही सुन्दर.
मनभावन अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') 10/30/2011 5:56 PM  

सुन्दर गीत दी....
सादर बधाई...

महेश सिंह 10/31/2011 12:42 PM  

ati sundar abhivakti....dhnyabad.

निर्झर'नीर 10/31/2011 2:23 PM  

पहले तो ढेरों शुभकामनायें
थाती ????????? is shabd ka arth samajh nahi aaya plz batayen .

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति 10/31/2011 2:36 PM  

बेहद सुन्दर भाव...ऐसे ही दीयों को समाज में जरूरत है... आपसी भाई चारे की... दीपावली अच्छी रही होगी... शुभकामनाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) 10/31/2011 2:55 PM  

सभी पाठकों का आभार ..


निर्झर नीर ,

थाती का मतलब होता है " धरोहर "

शुक्रिया

कुमार राधारमण 10/31/2011 3:05 PM  

ईर्ष्या,कटुता,घृणा और विद्वेष के इस परिवेश में,ये बातें मानो जीवन का सार हैं।

girish pankaj 11/07/2011 11:00 PM  

वाह, दिए भी जल रहे हैं, और शब्दों के माध्यम से विचारों का प्रकाश भी फ़ैल रहा है. विलम्ब से आया, मगर उजाला ले कर जा रहा हूं.

रेणु 10/21/2022 11:03 PM  

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय दीदी।दिया सद्भावनाओं और स्नेह का हो तो हर तरफ प्रेम ही प्रेम होगा ये तय है।मुहब्बत से चल रहा है दुनिया का समस्त कारोबार। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏♥️♥️🌹🌹

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